- हिन्दू कालेज में
विश्वनाथ त्रिपाठी
का व्याख्यान
- ‘पुण्य स्मरण : भरत
सिंह उपाध्याय
दिल्ली।
जब पूरा
देश चारित्रिक
दारिद्रय से
गुजर रहा
है तब
अपने इतिहास
से ऐसे
मनीषियों को
जानना जरूरी
है जिन्हें
भले महानता
का सर्टिफिकेट
न दिया
गया हो
लेकिन जो
सचमुच महान
हैं। पालि
साहित्य और
बौद्ध दर्शन
के महान
विद्वान् भरतसिंह
उपाध्याय के
पुण्य स्मरण
प्रसंग में
सुपरिचित विद्वान्
विश्वनाथ त्रिपाठी
ने कहा
कि
भरतसिंह उपाध्याय ने भगवान् बुद्ध
की जैसी
जीवनी लिखी
है उसके
बारे में
यही कहना
उचित होगा
कि यदि
भगवान् बुद्ध
खड़ी बोली
गद्य लिखते
होते तो
वह अपनी
बातें ठीक
ऐसी ही
लिखते जैसी उपाध्याय
जी ने
लिखी है।
त्रिपाठी जी
ने कहा
कि दलित
और स्त्री
विमर्श की
ठेठ भारतीय
परम्परा देखनी
हो तो
वह थेर
साहित्य में
देखी जानी
चाहिए जिसे
हिन्दी पाठकों
के लिए भरतसिंह
उपाध्याय ने
बहुत प्रमाणिक
रूप से
रखी।
यह
आयोजन त्रिपाठी
जी की
सद्य प्रकाशित
संस्मरण पुस्तक
'गंगा स्नान
करने चलोगे'
के संदर्भ
में किया
गया था।
इस पुस्तक
में हिन्दू
कालेज के
पूर्व प्राध्यापक
और मनीषी भरतसिंह
उपाध्याय पर
भी संस्मरण
है जिसके
अंश लेखक
ने सुनाये।
भारतीय ज्ञानपीठ
के सहयोग
से आयोजित
इस संगोष्ठी
में
भरतसिंह उपाध्याय के संदर्भ में
हिन्दी के
दिवंगत मनीषी
आचार्यों की
सुदीर्घ परम्परा
को स्मरण
करते हुए
त्रिपाठी ने
कहा कि
दिल्ली विश्वविद्यालय
के इतिहास
में पहली
बार किसी
आयोजन में भरतसिंह
उपाध्याय को
याद किया
जा रहा
है। इससे
पहले अतिथियों
का परिचय
देते हुए
डॉ रामेश्वर
राय ने
विश्वनाथ त्रिपाठी
के लेखन
और भाषा
शैली पर
विस्तार से
प्रकाश डाला।
हिन्दी साहित्य
सभा के
परामर्शदाता डॉ पल्लव ने 'गंगा स्नान
करने चलोगे'
को विधाई
अंतर्क्रिया का अनुपम उदहारण बताते
हुए कहा
कि यह
पुस्तक केवल
संस्मरणों का सुख नहीं देती
अपितु हिन्दी
साहित्य के
अनेक व्यतीत
पक्षों और
समकालीन मुहावरों
का बोध
भी कराती
है। अध्यक्षता
कर रहे
कवि-कथाकार
अजित कुमार
ने पुराने
दिनों का
स्मरण करते
हुए अनेक
संमरण भी
सुनाये। महाविद्यालय
की हिन्दी
भित्ति पत्रिका
'अभिव्यक्ति' का लोकार्पण विश्वनाथ त्रिपाठी
ने किया।
इस पत्रिका
के परामर्शदाता
डॉ अरविन्द
संबल ने
पत्रिका की
जानकारी दी।
पत्रिका के
छात्र सम्पादक
आशु मंडोर,
राजकुमार और
आरती ने
स्वागत किया।
कालेज के
पूर्व आचार्य
सुरेश ऋतुपर्ण
एवं कवि
शैलेन्द्र चौहान ने अतिथियों का
माल्यार्पण कर स्वागत किया। समारोह
स्थल पर
भारतीय ज्ञानपीठ
द्वारा लगाई
पुस्तक प्रदर्शनी
का बड़ी
संख्या में
युवाओं ने
लाभ लिया।
आयोजन में
लेखक मनोज
मोहन, प्राध्यापक
अभय रंजन,
डॉ हरीन्द्र
कुमार, डॉ
विमलेन्दु तीर्थंकर, रविरंजन, ज्ञान प्रकाश,
आशु मिश्रा
एवं विभाग
की प्रभारी
डॉ रचना
सिंह ने
भागीदारी की। हिन्दी
साहित्य सभा
के संयोजक
असीम अग्रवाल
ने स्वागत
तथा घनश्याम
दास स्वामी
ने आभार
व्यक्त किया।
नितिन मिश्रा
मीडिया प्रभारी
हिन्दी साहित्य सभा
हिन्दू कालेज
दिल्ली
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