आमंत्रणयह खू कि महक है के लब्ब-ए यार कि खुशबु
किस राह कि जानिब से सदा आती है देखो
गुलशन में बहार आई के जिंदा हुआ आबाद
किस सिम्त से नगमो कि सदा आती है देखो,,,
"फैज़"
एक शाम सांस्कृतिक आंदोलन के नाम
ख़्वाब-ए-सहरप्रसिद्ध शास्त्रीय व लोक गायक कलाकारडा0 शुभेंदु घोष(प्रतिध्वनि)द्वारासामाजिक व राजनैतिक आंदोलनों में सांस्कृतिक आंदोलन की भूमिका के संदर्भ मेंक्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुतिदिनांकः 22 जुलाई 2012 सांय 5.00 से 7.00 बजे तकस्थानः- आई.एस.आई, इन्स्टीट्यूषनल एरियालोधी रोड- नई दिल्ली
आयोजकः- राष्ट्रीय वन-जन श्रमजीवी मंच ( NFFPFW)
Comments