हिन्दी
साहित्य, संस्कृति और रंगमंच के प्रति प्रतिबद्ध संस्था “सृजन” ने “हिन्दी कविता लेखन कार्यशाला” का आयोजन द्वारकानगर स्थित जन ग्रंथालय के सभागार
में किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सृजन के अध्यक्ष नीरव कुमार वर्मा ने की जबकि संचालन का दायित्व निर्वाह कियासचिव डॉ॰
टी महादेव राव ने।
नीरव कुमार वर्मा, जो कि
इस कार्यशाला के मुख्य
संकाय व्याख्याता के रूप में थे, ने मानव जीवन में और समाज में कविता की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा हर कवि को चाहिए कि सरल
भाषा,जन बाहुल्य को समझ आने वाले प्रतीक और बिंबों का प्रयोग करते हुये कविता लिखनी चाहिए। समाज के तौर
तरीके,आ रहे बदलाव,आसपास
घट रही घटनाओं के प्रति गहन अवलोकन करने
की क्षमता का विकास करे। कविता वस्तु के भावों,संवेदनाओं और अनुभूतियों के साथ कवि स्वयं को ढाल ले तो अच्छी कविता का
सृजन होता है। शब्द संपदा,उपयुक्त शब्दों का समुचित प्रयोग, भाषा के प्रति अच्छी पकड़ भी कविता सृजन में अहम भूमिका निभाते हैं। श्री वर्मा ने कहा विचारों को बांटें,चर्चा
करें,लागाता
अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें,जो
कि एक अच्छे साहित्यकार के लिए आवश्यक है।
कविता लेखन के
संदर्भ में अपनी बात बताते हुये डॉ टी महादेव राव ने कहा –कविता लिखने के तरीके,शैलियाँ बदली ज़रूर हैं,पर कविता सामान्य मानव जीवन की
स्थितियों, परिवेशों, जीवन शैलियों में दखल रखते हुये आम
आदमी के करीब धड़कती है। कविता आम नागरिक
के प्रति, समाज के प्रति अपना दायित्व निभाते हुए हमारे मन को अंतरतम को छूती
है। ग़ज़ल, गीत, तुकांत कविता,कविता,
क्षणिकाएँ कविता का रूप चाहे कुछ हो पर उसे मानव और मानवीयता के प्रति अत्यंत
संवेदनशील होना चाहिए। डॉ राव ने इस कार्यशाला के
मुख्यसमन्वयकयुगल श्री अशोक गुप्ता और श्रीमती मीना गुप्ता के प्रयासों की सराहना
की।
विविध शिक्षण संस्थानों से आए पंद्रह प्रतिभागियों ने इस कविता
लेखन कार्यशाला में भाग लिया और गंभीरता का साथ कविता लेखन के लिए दिये गए मार्गदर्शन का लाभ उठाया। इनमे से तीन प्रतिभागियों ने तुरत
कुछ कवितायें लिखीं। इन कविताओं को बाद में हुयी कवि गोष्ठी में सुनाया।
कार्यक्रम में सबसे पहले मीना गुप्ता ने “मालगाड़ी”
कविता में आज आम आदमी जिन जिम्मेदारियों और समस्याओं से जूझ रहा है उन पर
अपनी बात कही। कपिल कुमार शर्मा ने “विरह का गीत”कविता में बंधनों में बिछोह के दर्द को उभारा। तीन प्रतिभागियों – तमिश्रा सत्पथी ने “जीवन मृत्यु” और “दोस्त” कविताओं में क्रमशः मानव के जीवनदर्शन और मित्र की महत्ता पर
कवितायें सुनाई। पूजा अर्चना ने देश के
प्रति नागरिकों
के समर्पण को “मातृभूमि” कविता में दर्शाया। अनुभव ने “हास्य की महत्ता” कविता में वर्तमान तनाव भरे जीवन में हंसने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
डॉ एम सूर्य कुमारी ने अपनी कविता “शो केस मैं बिल्ली”में
अमानवीय होते हिंसक मनुष्यों का खाका खींचा।
जी एस एन मूर्ति ने दो दोस्तों की नोकझोंक पर करारे व्यंग्य से भरी कविता “अक्ल किसी की जागीर नहीं”पढ़ी। अशोक गुप्ता ने नए कवियों को संबोधित करते हुये प्रेरित करती
कविता “ नया आकाश,
नए पंख” पढ़ा। बी शोभावाती ने अपनी कविता “ तारे ज़मीन पर” पेश की जिसमें ननिहालों को आगे बढने की
प्रेरणा थी।
डॉ के वी एल संध्यारानी ने प्रकृति की सुंदरता पर प्रतीकों के माध्यम से लिखी
कविता पढ़ी । रिश्तों की महता पर एम रामकृष्णा ने कविता
प्रस्तुत की –“रिश्ते”। समुद्र के खारेपन को उसका विद्रोह मानते हुये विविध
बिंबों की कविता “समुद्र” सुनाया डॉ टी महादेव राव ने जबकि नीरव
कुमार वर्मा ने नई कविता शीर्षक कविता का पाठ किया।
कार्यक्रम में के एल एस साईबाबू,
डॉ बी वेंकट राव, पी लावण्या,पी
तेजश्री,कुसुम
यादव,ममता
रुहील, प्रियंका, कृत्तिका शर्मा,चन्द्रिका दास,मधूलिका,
अनिरुद्ध कौशिक,कुमार
शिवम राय,अजय
किरण पाढ़ी,शेख
भाशा और सी एच ईश्वरराव ने भी सक्रिय
भागीदारी की। सभी रचनाओं पर उपस्थित
कवियों और लेखकों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रतिभागियों
ने कविता लेखन कार्याशाला को अत्यंत
सार्थक और उपयोगी कहा। सभी को
लगा कि इस तरह के सार्थक कार्यक्रम
लगातार करते हुए सृजन संस्था साहित्य के पुष्पन और पल्लवन में अच्छा
काम कर रही है। धन्यवाद ज्ञापन के
साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
n डॉ॰ टी महादेव राव
09394290204
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