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सूचना के अधिकार पर और काम की बहुत गुंजाईस बाकी है -सुनील कुमार झा


चित्तौड़गढ़
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जब हम अपनी पहली लोकसभा की बैठक के हीरक जयन्ती में  हैं हमारे देश में साल दो हज़ार पांच में पारित सूचना के अधिकार कानून का बनना बहुत बड़ा काम है.बीते सालों में सामने आये बहुत से आश्चर्यजनक खुलासे इसी क़ानून की उपज हैं.हमारी मीडिया ने इसके सहारे कई काले कारनामें उजागर किये हैं.फिर भी समय के साथ राज्य को इसमें सुधार करने की तरफ ध्यान देना चाहिए,इस बात की इसमें पर्याप्त गुन्जाईस भी है.खासकर आम आदमी जिसके हित में ये क़ानून बना है उसका इसके लाभों से अनजाना होना दिल दुखाता है.इस अधिनियम को और अधिक प्रभावी ढंग से प्रचारित करने की ज़रूरत है.ये विचार बतौर मुख्य वक्ता सुनील कुमार झा ने एक संगोष्ठी में कहे.नगर की सामाजिक संस्था 'परोपकार' के सचिव वी.बी.चतुर्वेदी के अनुसार गांधी नगर स्थित अलख स्टडीज़ विद्यालय में शनिवार शाम पांच बजे सूचना के अधिकार विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन हुआ.संस्था अध्यक्ष जे.पी.भटनागर के संचालन में शुरू हुई गोष्ठी के मुख्य वक्ता सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी सुनील कुमार झा थे.अधिनियम की पूरी जानकारी के बाद एक चर्चा सत्र भी रखा गया .जिसमें सभी ने आपसी संवाद से कई और शंकाओं का निवारण किया.गोष्ठी में माणिक,संजय जैन,डाईट की उपाचार्य मीना रागानी और आशुतोष मेहता ने भी हिस्सा लिया.

जे.पी.भटनागर,अध्यक्ष,परोपकार संस्था,चित्तौड़गढ़


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