वर्धा
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय,
वर्धा के
राइटर-इन-रेजीडेंस और
वरिष्ठ साहित्यकार
से.रा.यात्री का
कार्यकाल पूरा
होने पर
विश्वविद्यालय के ऑफीसर्स और फैकल्टी
क्लब द्वारा
आयोजित एक
समारोह में
श्री यात्री
का अभिनंदन
किया गया
और उन्हें
भावभीनी विदाई
दी गई।
कार्यक्रम में उपस्थित तमाम विद्वतजनों,
शिक्षकों,अधिकारियों
और शोधार्थियों
ने श्री
यात्री के
विश्वविद्यालय में राइटर-इन-रेजीडेंस के रूप में कार्यकाल
को सराहा
और एक
साहित्यकार के रूप में उनके
प्रखर योगदान
को रेखांकित
किया। कार्यक्रम
की अध्यक्षता
करते हुए
विश्वविद्यालय के कुलपति श्री विभूति
नारायण राय
ने
कहा कि वे से.रा.यात्री को
लगभग तीन
दशक से
जानते हैं।
विश्वविद्यालय के राइटर-इन-रेजीडेंस
के रूप
में श्री
यात्री ने
अपना पूरा
समय लिखने-पढऩे में
लगाया। उन्होंने
अल्प समय
में ही
विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों
से रागात्मक
संबंध स्थापित
कर अपनी
विशिष्ट पहचान
बनाई। श्री
यात्री ने
अपने रचनात्मक
अवदान से
विश्वविद्यालय में चल रही साहित्यिक
गतिविधियों में तेजी लाई। विश्वविद्यालय
के प्रतिकुलपति
प्रो.ए.अरविंदाक्षन ने
अपने संबोधन
में कहा
कि बहुआयामी
व्यक्तित्व के धनी श्री यात्री
उम्र के
इस पड़ाव
पर भी
जिस तरह
साहित्यिक गतिविधियों में निरंतर सक्रिय
रहते हैं,
वह नई
पीढ़ी के
लिए अनुकरणीय
है। विश्वविद्यालय
के राइटर-इन-रेजीडेंस
श्री संजीव
ने से.रा.यात्री
के साथ
अपने दीर्घ
आत्मीय संबंधों
को याद
करते हुए
श्री यात्री
के साहित्य
पर अधिक
से अधिक
शोध की
जरूरत बताई।
साहित्य विद्यापीठ
के संकायाध्यक्ष
प्रो.सूरज
पालीवाल ने
श्री यात्री
के साथ
अपनी दो
दशक से
भी पुरानी
मित्रता को
याद करते
हुए कहा
कि एक
साहित्य साधक
एवं सशक्त
रचनाधर्मी के रूप में श्री
यात्री ने
अपने दायित्वों
का बखूबी
निर्वहन किया
है। अपने
भावभीनी विदाई
समारोह से
अभिभूत से.रा.यात्री
ने इस
अवसर पर
कहा कि
विश्वविद्यालय के राइटर-इन-रेजीडेंस
के रूप
में उनका
यह कार्यकाल
बहुत खूबसूरत
रहा, इस
दौरान यहां
से बहुत
कुछ सीखने
का मौका
मिला। श्री
यात्री ने
कहा कि
विश्वविद्यालय के परिवेश ने मेरी
सृजनात्मकता में वृद्धि की । उन्होंने कहा
कि वे
भले ही
विश्वविद्यालय से जा रहे हैं
पर यहां
के शिक्षकों
और विद्यार्थियोंं
से उनका
भावनात्मक संबंध हमेशा बना रहेगा।
आभार-ज्ञापन
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.कैलास
खामरे द्वारा
किया गया। कार्यक्रम
का
संचालन श्री अमरेंद्र शर्मा ने
किया। इस
अवसर पर
बड़ी संख्या
में विश्वविद्यालय
के शिक्षक,
अधिकारी और
शोधार्थी उपस्थित
थे।
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