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''क्रान्तिकारी परिवर्तन के लियें सघर्ष व सृजन जरूरी''- प्रो. अनिल सद्गोपाल


उदयपुर 25 फरवरी
क्रान्तिकारी परिवर्तन के लियें संघर्ष तथा नव सृजन दोनो ही आवश्यक है। देश की शिक्षा के नव निर्माण में हमारी यहीं रणनीति होनी चाहिये। शिक्षा में सार्वजनिक निवेश घट रहा है, आज भी हमारे देश में सफल घरेलू उत्पाद का मात्र साढ़े तीन प्रतिशत शिक्षा के लियें मिलता है। उक्त विचार जाने माने शिक्षाविद् प्रो. अनिल सद्गोपाल ने डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, विद्याभवन तथा सेवामन्दिर द्वारा सांझे में आयोजित, शिक्षा का अधिकार और जन विकल्प की लड़ाई विषयक व्याख्यान देते हुये व्यक्त किये। प्रो. सद्गोपाल ने वर्तमान में शिक्षा के व्यापारिकरण की दिशा में होने वाले बदलावों को घातक बतलाते हुये कहा कि वह दिन दूर नही जब भारत के स्वतत्रंता का ईतिहास, महापुरूषों, क्रान्तिकारी समता मूलक संस्कृति एवं नागरिकता को बाजार नये रूप में परिभाषित करें। 

प्रो.सद्गोपाल ने कहा कि सरकारे शिखा को बिकाऊ बनाने पर तुली हुई है। बेलगाम बढ़ती फिसो, बढ़ता मुनाफा तथा असम्मान जनक वेतन व अप्रेशिक्षित व अल्प प्रशिक्षित अध्यापकों की व्यवस्था से पूंजीपतियों को अमीर बनाने का दुश्चक्र चल रहा। पीपीपी के नाम पर सरकार सार्वजनिक पूंजी को भी इन ताकतों को देने की व्यवस्था कर रही है। शिक्षा का अधिकार कानून भी अधुरा झूनझूना है। इसका असली ध्येय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लियें मजदूर अथवा शिक्षित गुलाम बनाना है। उन्होने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा कि मोटर गेराज के उपर दो कमरों में इंजीनियरिंग, बी.एड. और नर्सिंग प्रशिक्षण जैसे संस्थान चलते है। महती उपस्थिति को संबोंधित करते हुये प्रो. सद्गोपाल ने शिक्षा के जन विकल्पों पर कहा कि प्राथमिक से उच्च शिक्षा मुफ्त एवं सरकार पोषित होनी चाहिये तथा कानून होना चाहियें कि आई.ए.एस., डाक्टर्स, इजिनीयर्स, सांसद, विधायक बालकों को सम्मान शिक्षा व्यवस्था के तहत् निकटतम विद्यालय में ही पढ़ायें (नेबर हुडस्कूल, प्रणाली) इसके विद्यालयों की गुणात्मका के साथ-साथ समानता एवं स्कूली व्यवस्था ठोस होगी। 

विद्याभवन के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने स्वागत भाषण देते हुये कहा कि समता मूलक शिक्षा के बिना समता मूलक समाज का निर्माण संभव नही है। व्याख्यान पश्चात् प्रश्नोत्तर कार्यक्रम में, सेवामन्दिर की मुख्य संचालक प्रियंका सिंह, शिक्षाविद् ए.बी. फाटक, प्रो.एस.बी.लाल., समाजिक चिंतक हेमराज भाटी, सुमन आदि ने अपने-अपने प्रश्न पुछे। धन्यवाद देते हुये ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता ने शिक्षा की चुनौतियों  वर्तमान दौर की महती चुनौति बतलाया। व्याख्यान का संयोजन करते हुयें ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर में संवाद की बड़ी पुरानी परम्परा है तथा यहाँ  शिक्षा की बेहतरी के लियें बहुत चिन्तित है।


योगदानकर्ता / रचनाकार का परिचय :-
नितेश सिंह कच्छावा
कार्यालय प्रशासक 
डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट
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