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‘फिराक और फिराक का चिंतन’ पुस्तक का लोकार्पण


झुंझुनूं, 23 फरवरी। 

झुंझुनूं के प्रसिद्व साहित्यकार स्व. रेवतीलाल शाह द्वारा लिखित एवं प्रमोद शाह द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘फिराक और फिराक का चिंतन’ का लोकापर्ण भारतीय भाष परिषद सभाकक्ष कोलकता में कल समारोह पूर्वक हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कवि डॉ. केदारनाथ सिंह ने कहा कि मैंने फिराक को काफी नजदिक से देखा हैं, वे जिस अंदाज में शेर पढ़ते थे। उस अंदाज से लोक बड़े प्रभावित होते थे। वैसे फिराक गौरखपुरी को हिंदुस्तान से ज्यादा पाकिस्तान में समझा गया है। उन्होंने बताया कि पुस्तक में कई ऐसी महत्पूर्ण बाते हैं, जो विद्वान पाठक, भाषा और काव्य मर्मज्ञ ही लिख तथा जान सकते है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मोहम्मद सलीम थे। जिन्होंने बताया कि प्रोद्यौगिकी का तो विकास हो रहा हैं, परन्तु आपसी संवाद खत्म हो रहे है। रेवती भाई की इस पुस्तक में हमें संदेश मिला है कि एक भाषा लोगों को जोड़ सकती हैं तो वहीं भाषा तोड़ भी सकती है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र ने कहा कि लोकगीतों के प्रति फिराक की गहरी रूचि थी। वैज्ञानिक होते हुए भी रेवतीलाल शाह साहित्य के रसज्ञ थे। यह पुस्तक मानस पटल पर नई संभावनाओं को जगाती दिखाई दे रही है। विशिष्ठ अतिथि राजकमल जौहरी ने कहा कि एक वैज्ञानिक जो गणित ओर भौतिकी के विद्वान थे। लेकिन हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी एवं राजस्थानी भाषा पर समान अधिकार रखते थे। इस अवसर पर शायर नंदलाल ‘रोशन’ ने फिराक की गजल प्रस्तुत कर अतिथियों का स्वागत किया। प्रमोद शाह ने सभी का आभार जताया।फोटो कैप्सन:-23जेजेएन10 जेपीजी, वैज्ञानिक एवं साहित्यकार स्व. रेवतीलाल शाह की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोलते अतिथि। 


योगदानकर्ता / रचनाकार का परिचय :-



रमेश सर्राफ
झुंझुंनू,राजस्थान
मोबाईल-9414255034 
ई-मेल-rameshdhamora@gmail.com
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